
मोहन राकेश

आषाढ़ का एक दिन मोहन राकेश द्वारा रचित हिन्दी का एक नाटक है। इसे हिंदी नाटक के आधुनिक युग का प्रथम नाटक कहा जाता है। १९५९ में इसे वर्ष का सर्वश्रेष्ठ नाटक होने के लिए संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। १९७१ में निर्देशक मणि कौल ने इस पर आधारित एक ्फ़िल्म बनाई जिसने आगे जाकर साल की सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म का फ़िल्मफेयर पुरस्कार जीत लिया। आषाढ़ का एक दिन महाकवि कालिदास के निजी जीवन पर केन्द्रित है, जो १०० ई॰पू॰ से ५०० ईसवी के अनुमानित काल में व्यतीत हुआ।
इस नाटक का शीर्षक कालिदास की कृति मेघदूतम् की शुरुआती पंक्तियों से लिया गया है क्योंकि आषाढ़ का महीना उत्तर भारत में वर्षा ऋतु का आरंभिक महीना होता है, इसलिए शीर्षक का अर्थ “वर्षा ऋतु का एक दिन” भी लिया जा सकता है।
मोहन राकेश ने लिखा कि “मेघदूत पढ़ते हुए मुझे लगा करता था कि वह कहानी निर्वासित यक्ष की उतनी नहीं है, जितनी स्वयं अपनी आत्मा से निर्वासित उस कवि की, जिसने अपनी ही एक अपराध-अनुभूति को इस परिकल्पना में ढाल दिया है।” मोहन राकेश ने कालिदास की इसी निहित अपराध-अनुभूति को “आषाढ़ का एक दिन” का आधार बनाया।
अंबिका : मल्लिका : कालिदास : दंतुल : मातुल : निक्षेप : विलोम : रंगिणी : संगिनी : अनुस्वार : अनुनासिक: प्रियंगुमंजरी: |
पात्र – परिचय
ग्राम की एक वृद्धा उसकी पुत्री कवि राजपुरुष कवि-मातुल ग्राम-पुरुष ग्राम-पुरुष नागरी नागरी अधिकारी अधिकारी राजकराजकन्या, कवि-पत्नी |